Agriculture, Rural & Environment (Schemes)

Step into the world of Agriculture, Rural Development, and Environmental Initiatives. In this category, we will bring a series of informative blog posts focused on government schemes aimed at fostering growth, sustainability, and progress in the realms of agriculture, rural areas, and the environment.

Here, we uncover the latest updates on a range of government initiatives designed to empower farmers, uplift rural communities, and nurture our natural resources. Our blog posts dive deep into these schemes, breaking down their objectives, benefits, and real-world impacts.

कृषि, ग्रामीण विकास और पर्यावरण पहल की दुनिया में आपका स्वागत है। इस श्रेणी में, हम कृषि, ग्रामीण क्षेत्रों और पर्यावरण के क्षेत्र में विकास, स्थिरता और प्रगति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकारी योजनाओं पर केंद्रित जानकारीपूर्ण ब्लॉग पोस्ट की एक श्रृंखला लाएंगे।

यहां, हम किसानों को सशक्त बनाने, ग्रामीण समुदायों के उत्थान और हमारे प्राकृतिक संसाधनों के पोषण के लिए डिज़ाइन की गई कई सरकारी पहलों पर नवीनतम अपडेट को उजागर करते हैं। हमारे ब्लॉग पोस्ट इन सभी योजनाओं और उनके उद्देश्यों, लाभों और वास्तविक दुनिया पर प्रभावों के बारे में हैं।

Mukhyamantri Krishi Utpadan Sanrakshan Yojana Himachal Pradesh की संपूर्ण जानकारी

यह योजना हमारे हिमाचल के किसान भाई बंधुओं के लिए बनाई गई प्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग की सरकार ने तीन मौजूदा विभागीय संरक्षण-आधारित कार्यक्रमों (departmental protection-based programs) – “खट्टा बाधबंदी (“Sour Badhbandi),” “एंटी-हेल नेट स्ट्रक्चर,(Anti-Hail Net Structure)” और “ग्रीन हाउस नवीनीकरण (Green House Renovation)” को मिलाकर “मुख्यमंत्री कृषि उत्पादन संरक्षण योजना” कार्यक्रम बनाया गया है।

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Scheme of provision of subsidised Rams to sheep breeders himachal Pradesh की संपूर्ण जानकारी

हिमाचल प्रदेश में प्रमुख उद्योगों (main occupations) में से एक भेड़ पालन है। हिमाचल प्रदेश की रामपुर बुशरी और गद्दी नस्लें (Rampur Bushari and Gaddi) कालीन ऊन उत्पादन (indigenous carpet wool) के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। पूरे राज्य में 8.05 लाख भेड़ें हैं। मानकों के अनुसार (As per norms), 20 से 25 भेड़ों के लिए एक प्रजनन मेढ़े की आवश्यकता होती है। राज्य की लगभग 3.00 लाख जानवरों की प्रजनन (breedable) योग्य भेड़ की आबादी को पूरा करने के लिए कम से कम 12,000 मेढ़ों की आवश्यकता है, लेकिन सरकार अपने खेतो (farms) से केवल 250-300 मेढ़ों की ही आपूर्ति (Provide) कर सकती है। इसलिए, राज्य और पड़ोसी राज्यों के खेतों और प्रगतिशील प्रजनकों (progressive breeders) से खरीदने के बाद धीरे-धीरे रैमबौइलेट (Rambouillet) और रूसी मेरिनो (Russian Merino) नस्लों के उच्च आनुवंशिक योग्यता (High Genetic Merit breeding) वाले मेढ़ो और उनके क्रॉस को 60% सब्सिडी पर भेड़ प्रजनकों को देने का सुझाव दिया गया है।

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Uttam Pashu Puraskar Yojana himachal Pradesh की संपूर्ण जानकारी

हिमाचल प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग ने पशुधन मालिकों को उच्च गुणवत्ता वाले, अधिक उपज देने वाले जानवरों को पालने के लिए पुरस्कार और प्रोत्साहन देने के लिए “उत्तम पशु पुरस्कार योजना” (Uttam Pashu Puraskar Yojana) कार्यक्रम बनाया है।

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Krishak Bakri Palan Yojana Himachal Pradesh की संपूर्ण जानकारी

हिमाचल प्रदेश में, छोटे और सीमांत किसान, मुख्य रूप से खानाबदोश और भूमिहीन मजदूर, पारंपरिक रूप से आजीविका के साधन के रूप में बकरियां पालते हैं। लोगों के इन समूहों के लिए, इस प्रजाति को आर्थिक निर्वाह का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। बकरियां विभिन्न प्रकार की कृषि जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हैं, जो उन्हें सीमित संसाधनों वाले छोटे किसानों के लिए उपयुक्त बनाती हैं। इस योजना के अनुसार, बीटल, सिरोही, जमनापारी और व्हाइट हिमालयन नस्लों (Beetal/Sirohi/Jamanapari/White Himalayan breeds) की 11 बकरियां (10 मादा और 1 नर/10 females and 1 male), 5 बकरियां (4 मादा और 1 नर), और 3 बकरियों (2 मादा और 1 नर) की इकाइयां (units) 60% सब्सिडी के साथ वितरित (distribute) किया जाएगा।

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Him Kukkut Palan Yojana himachal Pradesh (HIMKUPY) की संपूर्ण जानकारी

हिमाचल प्रदेश सरकार के पशुपालन विभाग ने राज्य में मुर्गी पालन में रुचि रखने वाले और इसमें लगे व्यवसायियों और किसानों को सब्सिडी देने के लिए “हिम कुक्कुट पालन योजना” कार्यक्रम बनाया है। हिमाचल सरकार का यह एक प्रयास है कि पशुपालन विभाग राज्य में व्यावसायिक ब्रॉयलर खेती पर भी ध्यान केंद्रित करे क्योंकि अधिक से अधिक पोल्ट्री किसानों ने (backyard projects) में अपनी सफलता के परिणामस्वरूप मुर्गीपालन को एक पेशे के रूप में अपनाने में रुचि दिखाई है।

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